आम आदमी सिस्टम की बेरुखी से परेशान होकर जब ‘मदारी’ बन जाता है तो पूरा सिस्टम उसके इशारों पर ‘जमूरे’ की तरह नाचता है।
फिल्म- मदारी
जॉनर- थ्रिलर
निर्देशक- निशिकांत कामत
अदाकारी- इरफ़ान खान, जिमी शेरगिल,तुषार दलवी, विशेष बंसल
बॉलीवुड के मंजे हुए अदाकार इरफ़ान की फिल्म मदारी आख़िरकार रिलीज़ हो गई। निर्देशक निशिकांत कामत के निर्देशन में बनी यह फिल्म एक थ्रिलर ड्रामा है। मदारी एक आम आदमी और भ्रष्ट सरकार के बीच की लड़ाई की कहानी है। फिल्म के ज़रिए समाज, देश को भ्रष्टाचार कैसे जकड़े हुए है इस बात से पर्दा उठाने की कोशिश की गई है।
फिल्म में नसीरुद्दीन शहा की ‘अ वेडनसडे’, और हाल ही में रिलीज़ हुई अमिताभ बच्चन और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की तीन फिल्म की झलक नज़र आती है। फिल्म की जान इरफ़ान खान हैं। आइए जानते है कैसी है फिल्म की कहानी।
मदारी की कहानी-
निर्मल कुमार (इरफ़ान खान) एक आम आदमी है जिसके सिर्फ़ दो ही काम हैं। एक अपना छोटा मोटा काम करना और अपने 7 साल के बच्चे अपूर्व कुमार की अकेले परवरिश करना। देश और सरकार के लिए निर्मल वोट देता है पर सरकार का कोई फ़ैसला या समाज में हो रहे भ्रष्टाचार से उसे कोई लेना देना नहीं है। पर अचानक एक ब्रिज एक्सीडेंट में निर्मल के बेटे अपूर्व की जान चली जाती है।
इस हादसे से निर्मल टूट जाता है। अपने बच्चे को खो चुका निर्मल यह ठान लेता है की वो इस हादसे के लिए जो ज़िम्मेदार हैं उन्हें सज़ा दिलवा कर रहेगा। निर्मल होम मिनिस्टर प्रशांत गोस्वामी (तुषार दलवी) के बेटे रोहन गोस्वामी (विशेष बंसल) का अपहरण कर लेता है। फिर निर्मल मदारी बन जाता है और सरकार, पुलिस प्रशासन जमूरे की तरह उसके इशारों पर नाचते नज़र आते हैं।कहानी कहीं कहीं सुस्त हो जाती है पर इरफ़ान खान की अदाकारी इसे भुलाने में कामयाब होती है।
निर्देशन-
निशिकांत कामत का निर्देशन पहले से बेहतर नज़र आ रहा है। निशिकांत की पिछली फिल्म रॉकी हैंडसम में जो खामियां थीं वो इसमें नज़र नहीं आती। कहानी के साथ न्याय करने के लिए निर्देशन बेहतर होना ज़रूरी था और वो काम निशिकांत ने बखूबी किया है।
अदाकारी-
कहाँनी को मजबूती से पेश करने के लिए निर्देशन के साथ अदाकारी दमदार होना भी ज़रूरी था। कहानी को ढोने की ज़िम्मेदारी इरफ़ान खान बखूबी निभाते नज़र आए। इरफ़ान के अलावा नन्हें कलाकार विशेष बंसल भी अपनी छाप छोड़ते दिखे। साथ ही पुलिस ऑफिसर की भूमिका में जिमी शेरगिल भी जच रहे हैं। तुषार दलवी और बाकी के कलाकारों ने भी अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई है।
म्यूजिक-
मदारी का म्यूजिक विशाल भरद्वाज, सनी-इंदर बावरा ने दिया है। फिल्म में गानों को तर्जी नहीं दी गई है और ना ही कहानी में उनकी ज़रूरत है। डम डमा डम शीर्षक गीत ठीक है। फिल्म का बैक ग्राउंड म्यूजिक समीर फाटेरपेकर नें दिया है। जो ठीक है।
फिल्म की अच्छी बातें-
1 निर्देशक निशिकांत कामत ने मदारी को ऐसे पेश किया है की हर आदमी को इससे जुड़े होने का एहेसास होगा।फिल्म में देश की जनता के लिए बेहद ज़रूरी संदेश भी है।
2 फिल्म में इरफ़ान खान की अदाकारी काबिले तारीफ़ है। अदाकारी के चाहनेवालों के लिए यह एक बेहतरीन तोहफ़ा है।
3 फिल्म में किसी भी तरह की अश्लीलता नहीं है, इसे आप परिवार के साथ बैठकर भी देख सकते हैं।
फिल्म की बुरी बातें-
1 फिल्म की कहानी में कोई नयापन नज़र नहीं आता है।
2 कहानी में आगे क्या हो सकता है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
3 हिंदी फिल्मों में गाने,संगीत चीज़े बेहद मायने रखती हैं। लेकिन मदारी में दर्शकों को लुभा सके ऐसे गाने और संगीत की कमी नज़र आती है।
देखे या ना देखे-
मदारी आपको निराश नहीं करेगी। बेहतरीन अदाकारी और संदेश देनेवाली फ़िल्में देखना आप पसंद करते हैं तो आप यह फिल्म ज़रूर देखें।